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लॉजिक गेट्स(Logic Gates):-

लॉजिक गेट्स(Logic Gates):-

    इलेक्ट्रॉनिक उपकरणों, विशेषकर कम्प्यूटर आदि में ऐसे परिपथों की आवश्यकता होती है जो एक विशेष प्रकार के इनपुट संकेत पर प्रचालित होते है। ऐसे परिपथ तार्किक परिपथ अथवा लॉजिक गेट कहलाते है। बेसिक लॉजिक गेट तीन प्रकार के होते है।

1. NOT गेट,    2. OR गेट,    3. AND गेट

इन गेट्स का प्रयोग करके अन्य प्रकार के गेट्स बनाये गये है। जैसे-  1. NOR गेट,  2. NAND गेट,  3. EX-OR गेट,  4. EX-NOR गेट आदि। 

1. NOT गेट:- यह एक प्रकार का इन्वर्टर परिपथ है जो दिए गये बाइनरी इनपुट को उसके पूरक में परिवर्तित कर देता है, अर्थात् 1 को शून्य में तथा शून्य को 1 में परिवर्तित कर देता है। जब स्विच को प्रचालित किया जाता है अर्थात् इनपुट 1 होता है तो लैम्प बुझ जाता है और इनपुट शून्य होता है तो लैम्प जल जाता है।

NOT गेट

2. OR गेट:- यह एक ऐसा लॉजिक गेट है जिसमे किसी एक अथवा दोनों इनपुट टर्मिनल पर उच्च संकेत 1 देने पर आउटपुट भी उच्च अर्थात् 1 प्राप्त होता है । यदि किसी भी टर्मिनल पर इनपुट संकेत न दिया जाये तो आउटपुट 0 रहती है। इसमें एक लैम्प को दो स्विचों द्वारा नियन्त्रित किया जाता है। किसी एक स्विच को ऑन करने पर लैम्प जलने लगता है ।

OR गेट

3. AND गेट:- यह एक ऐसा लॉजिक गेट है जिसमे सभी इनपुट टर्मिनल पर उच्च संकेत 1 देने पर ही  आउटपुट उच्च अर्थात् 1 प्राप्त होता है । यदि किसी एक टर्मिनल पर इनपुट संकेत दिया जाये तो आउटपुट 0 रहती है। इसमें दोनों इनपुट पर जब सिग्नल दिया जाता है तभी आउटपुट प्राप्त होता है। इसमें भी एक लैम्प को दो स्विचों द्वारा नियन्त्रित किया जाता है। इसमें दोनों स्विचों को ऑन करने पर लैम्प जलता है ।

AND गेट

4. NOR गेट:- यह OR तथा NOT लॉजिक गेट का संयुक्त रूप है। इसकी सत्य सारणी OR गेट की सत्य सारणी के पूरक है।
NOR गेट

5. NAND गेट:- यह AND तथा NOT लॉजिक गेट का संयुक्त रूप है। इसकी सत्य सारणी AND गेट की सत्य सारणी के पूरक है।
NAND गेट

6. EX-OR गेट(Exclusive-OR Gate):- यह गेट एक विशेष प्रकार का OR लॉजिक गेट है। इसमें दोनों इनपुट टर्मिनल पर 1 अथवा 0 की स्थिति में आउटपुट 0 प्राप्त होता है, जबकि एक इनपुट टर्मिनल पर 1 तथा दुसरे पर शून्य होने पर आउटपुट 1 प्राप्त होता है।
EX-OR गेट

6. EX-NOR गेट(Exclusive-NOR Gate):- यह गेट एक विशेष प्रकार का NOR लॉजिक गेट है। इसमें दोनों इनपुट टर्मिनल पर 1 अथवा 0 की स्थिति में आउटपुट 1 प्राप्त होता है, जबकि एक इनपुट टर्मिनल पर 1 तथा दुसरे पर शून्य होने पर आउटपुट 0 प्राप्त होता है।
EX-NOR गेट

यूनिवर्सल लॉजिक गेट(Universal Logic Gate)

    संयुक्त लॉजिक गेट NOR तथा NAND दोनों यूनिवर्सल लॉजिक गेट कहलाते है क्योंकि इनकी सहायता से तीनों प्रकार के बेसिक गेट (NOT, OR तथा AND) के प्रचालन प्राप्त किये जा सकते है। 






डिजिटल इलेक्ट्रॉनिक्स(Digital Electronics):-

 डिजिटल इलेक्ट्रॉनिक्स(Digital Electronics):-

    वर्तमान समय में इलेक्ट्रॉनिक्स को एनालॉग एवं डिजिटल दो शाखाओं में विभक्त किया गया है।

1. एनालॉग इलेक्ट्रॉनिक्स का मुख्य आधार एनालाग सिग्नल है, जो कि एक सतत सिग्नल होता है। यह पैरामीटर का समय के साथ निरन्तर परिवर्तन दर्शाता है।

2. डिजिटल इलेक्ट्रॉनिक्स पूर्णतः डिजिटल सिग्नल पर आधारित होती है।

3. इसमें वोल्टेज के राशियों को 1 एवं 0 के समूहों में प्रदर्शित किया जाता है। अतः डिजिटल प्रणाली बाइनरी संख्या पद्धति पर आधारित है।

संख्या प्रणाली (Number System):-

    डिजिटल परिपथों में गणनाएँ तथा डाटा प्रोसेसिंग के लिए विभिन्न प्रणालियाँ प्रयोग में लाई जाता है।

संख्या प्रणाली

बेस

प्रयुक्त संकेत

उदाहरण

बाइनरी

2

0,1

(11011.11)2

ऑक्टल

8

0,1,2,3,4,5,6,7

(3567.25)8

डेसीमल

10

0,1,2,3,4,5,6,7,8,9

(3974.57)10

हेक्सा डेसीमल

16

0,1,2,3,4,5,6,7,8,9,A,B,C,D,E,F

(3FA9.56)16

 

संख्या प्रणाली के प्रकार:- यह निम्न प्रकार का होता है।

1. डेसीमल संख्या प्रणाली(Decimal Number System)

2. बाइनरी संख्या प्रणाली(Binary Number System)

3. ऑक्टल संख्या प्रणाली(Octal Number System)

4. हेक्साडेसीमल संख्या प्रणाली(Hexadecimal Number System)

1. डेसीमल संख्या प्रणाली(Decimal Number System):-

    डेसीमल संख्या प्रणाली का आधार 10 होता है। इसमें 10 अंक(0,1,2,3,4,5,6,7,8,9) प्रयोग किये जाते है। किसी भी संख्या प्रणाली में सबसे बायां अंक न्यूनतम सार्थक अंक एवं सबसे दायाँ अंक अधिकतम सार्थक अंक कहलाता है।

2. बाइनरी संख्या प्रणाली(Binary Number System):-

    बाइनरी प्रणाली में किसी डेसीमल संख्या को निम्नवत व्यक्त किया जाता है।

डेसीमल संख्या

बाइनरी

 

डेसीमल संख्या

बाइनरी

0

0000

8

1000

1

0001

9

1001

2

0010

10

1010

3

0011

11

1011

4

0100

12

1100

5

0101

13

1101

6

0110

14

1110

7

0111

15

1111


 

        बाइनरी संख्या प्रणाली में प्रयुक्त पद

पद

आकार(बिट में )

उदाहरण(बाइनरी रूप में )

बिट

1

1

निबिल

4

1001

बाईट

8

11001110

वर्ड

16

1010110111110011

डबल वर्ड

32

11100001111110101101001100011101







बाइनरी गणित(Binary Arithmetic):-

1. बाइनरी जोड़(Binary Addition):-

नियम-

1.

0 + 0 =

0

2.

0 + 1 =

1

3.

1 + 0 =

1

4.

1 + 1 =

0 ( Carry 1 )

उदाहरण-  1011 और 111 को बाइनरी प्रणाली से जोड़िये।

बाइनरी जोड़

2. बाइनरी घटाव(Binary Subtraction):-

नियम-

1.

0 - 0 =

0

2.

0 - 1 =

1 ( 1 उधार लिया गया है )

3.

1 - 0 =

1

4.

1 - 1 =

0

उदाहरण-  0110 में से 0100 को बाइनरी प्रणाली से घटाइए।

बाइनरी घटाव

3. बाइनरी गुणा(Binary Multiplication):-

नियम-

1.

0 x 0 =

0

2.

0 x 1 =

0

3.

1 x 0 =

0

4.

1 x 1 =

1

उदाहरण-  10100 को 101 से गुणा कीजिये।

बाइनरी गुणा
3. बाइनरी भाग(Binary Division):-

उदाहरण-  1110111 को 101 से भाग दीजिये।

बाइनरी भाग

ऑक्टल संख्या प्रणाली(Octal Number System):-

इस प्रणाली में आधार 8 होता है। इसमें कुल 8 अंक (0,1,2,3,4,5,6,7) प्रयोग किये जाते है।

ऑक्टल संख्या प्रणाली

हेक्साडेसीमल  संख्या प्रणाली(Hexadecimal Number System):-

इस प्रणाली में आधार 16 होता है। इसमें कुल 16 अंक (0,1,2,3,4,5,6,7,8,9,A,B,C,D,E,F) प्रयोग किये जाते है। इसे अल्फान्युमेरिक प्रणाली के नाम से भी जाना जाता है।

हेक्साडेसीमल  संख्या प्रणाली

 संख्या प्रणाली रूपान्तरण(Number System Conversion)

1. डेसीमल संख्या का बाइनरी संख्या में परिवर्तन:- डेसीमल संख्या को बाइनरी संख्या में बदलने के लिए डेसीमल संख्या को निचे दिए गये प्रकार से शून्य प्राप्त होने तक 2 से भाग किया जाता है तथा शेष को दायी ओर लिखते जाते हैं।

उदाहरण- 54 को बाइनरी संख्या में बदलिए। 

डेसीमल संख्या का बाइनरी संख्या में परिवर्तन

 2. डेसीमल भिन्न संख्या का बाइनरी संख्या में परिवर्तन:- 

    डेसीमल संख्या के भिन्न भाग को बाइनरी में परिवर्तित करने के लिए लगातार 2 से तब तक गुणा करते है जब तक कि शून्य प्राप्त न हो जाये।

उदाहरण- (11.8125)10 को बाइनरी में परिवर्तित कीजिये-

डेसीमल भिन्न संख्या का बाइनरी संख्या में परिवर्तन

 3. बाइनरी संख्या का डेसीमल संख्या में परिवर्तन- 

    किसी बाइनरी संख्या को डेसीमल संख्या में परिवर्तित करने के लिए बाइनरी संख्या को दायी ओर से बायीं ओर को पढ़ा जाता है और प्रत्येक बाइनरी अंक को क्रमशः 20, 21, 22, 23, 24........ से गुणा करके लिखा जाता है। अन्त में सभी प्राप्त मानों को जोड़ दिया जाता है।

उदाहरण- (111010)2 को डेसीमल में बदलिए।

बाइनरी संख्या का डेसीमल संख्या में परिवर्तन

4. बाइनरी भिन्न संख्या का डेसीमल संख्या में परिवर्तन- किसी बाइनरी भिन्न संख्या को डेसीमल संख्या में परिवर्तित करने के लिए बाइनरी संख्या को दायी ओर से बायीं ओर को पढ़ा जाता है और प्रत्येक बाइनरी अंक को क्रमशः 20, 21, 22, 23, 24........ से गुणा करके तथा प्रत्येक भिन्न बाइनरी अंक को क्रमशः 2-1, 2-2, 2-3, 2-4........ से गुणा करके लिखा जाता है। तथा अन्त में सभी प्राप्त मानों को जोड़ दिया जाता है।

उदाहरण- (101.101)2 को डेसीमल में बदलिए।

(101.101)2 = (1x2-1)+(0x2-2)+(1x2-3)+(1x20)+(0x21)+(1x22)

            = 1/2 + 0 + 1/8 + 1 + 0 + 4

            = 5.625