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कैलीपर्स(Callipers):-

 कैलीपर्स(Callipers):-

    कैलीपर्स एक अप्रत्यक्ष मापी औजार होता है। इसका प्रयोग किसी जॉब के सिरों अथवा व्यास आदि को मापने के लिए किया जाता है। इससे माप लेने के लिए पहले जॉब को कैलीपर्स से माप लिया जाता है फिर कैलीपर को स्टील रुल से मापा जाता है। यह सामान्यता हाई कार्बन स्टील(High Carbon Steel) अथवा माइल्ड स्टील(Mild Steel) से बनाए जाते हैं। इनके माप लेने वाले शिरो को कठोर तथा टेम्पर्ड कर दिया जाता है जिससे ये घिसे नहीं।  इनका साइज रिवेट के केंद्र से माप लेने वाले सिरे तक की दूरी से प्रकट किया जाता है।

कैलिपर्स के प्रकार (Types of Callipers):-

जोड़ तथा टांगों के आकार के आधार पर कैलीपर्स विभिन्न प्रकार के होते हैं।

कैलीपर्स

जोड़  के आधार पर:-

 1 -  फर्म ज्वाइंट कैलीपर्स(Form Joint Callipers)

 2  -  स्प्रिंग ज्वाइंट कैलीपर्स(Spring Joint Callipers)

1.फर्म ज्वाइंट कैलीपर्स:- चित्र के अनुसार इस प्रकार के कैलिपर्स में दोनों टांगे एक ही बिंदु पर हिंज की हुई होती है। किसी वस्तु या जॉब की माप लेने के लिए कैलिपर्स को एक आवश्यक साइज तक खोला जा सकता है। हिंज बिंदु को थोड़ा टाईट रखा जाता है जिससे इसे खोलने व बन्द करने में थोड़ा बल लगाना पड़े और इसमें ली गयी दुरी अपने-आप ही कम या ज्यादा न हो जाय।

2. स्प्रिंग ज्वाइंट कैलीपर्स:- स्प्रिंग कैलिपर्स में टांगे एक स्प्रिंग वाले फल क्रम रोलर पर लगी होती हैं इस प्रकार के कैलिपर्स को खोलने और बंद करने के लिए एक स्क्रु तथा नट लगा हुआ होता है जिसे। Adjusting nut कहते है। Adjusting nut को कस देने से कैलीपर्स में ली गयी दूरी तब तक परिवर्तित नहीं होती है जब तक कि nut को घुमाया न जाय

टांगों के आधार पर-

टांगो के आधार पर भी कैलीपर्स दो प्रकार के होते हैं।

1. वाह्य कैलीपर्स(Outside Callipers)

2. आन्तरिक कैलीपर्स(Inside Callipers)

1. वाह्य कैलीपर्स:- इसका उपयोग जॉब की बाहरी माप जैसे शाफ्ट का व्यास, लम्बाई आदि के लिए किया जाता है। ये 100 मिमी, 150 मिमी, 200 मिमी, 300 मिमी आदि साइजों में मिलते है।

2. आन्तरिक कैलीपर्स:- जॉब के अन्दर जैसे होल, झिर्री, आन्तरिक चौड़ाई आदि को मापने के लिए आन्तरिक कैलीपर्स का प्रयोग किया जाता है। ये 75 मिमी, 100 मिमी, 150 मिमी, 200 मिमी, 300 मिमी आदि साइजों में मिलते है।

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छेनियाँ(Chisels):-

    यह एक ऐसा हस्त औजार है जिसका उपयोग पतले धातु के शीट अथवा अन्य अवयओं को काटने के लिए सबसे अधिक किया जाता है। इसके कटाई वाले सिरें को टेपर बनाया जाता है तथा किनारे को ग्राइण्ड करके कटिंग एज बनाया जाता है। शीर्ष को 70के कोण पर शंक्वाकार बनाया जाता है। उपयोगिता के आधार पर इसकी कटिंग एज को 30से 70 के बीच रखा जाता है यह हाई-कार्बन-स्टील से बने छड़ से बनाया जाता है। इसकी कटिंग एज को हार्ड तथा टैम्पर कर दिया जाता है जिससे इसकी धार जल्दी खराब नही होती है।

Chisel

छेनी के प्रकार:-

1. गर्म छेनी(Hot Chisel):- धातुओं को गर्म अवस्था में काटने के लिए जिस छेनी का प्रयोग किया जाता है उसे गर्म छेनी कहते है। इसमें छेनी का कटाई धार 30 होता है।

Hot Chisel

2. ठण्डी छेनी(Cold Chisel):- धातुओं को बिना गर्म किये ठण्डी अवस्था में ही काटने के लिए जिस छेनी का प्रयोग किया जाता है उसे ठण्डी छेनी कहते है। इसमें छेनी का कटाई धार 60 होता है। ठण्डी छेनी भी अलग-अलग कार्य के आधार पर कई प्रकार की होती है।

1. फ्लैट छेनी(Flat Chisel):- यह छेनी सबसे अधिक प्रयोग में लायी जाती है। इसकी चौड़ाई इसके मोटाई से अधिक होती है। इसके कटिंग एज को हल्का गोला रखा जाता है।

2. क्रॉस कट छेनी(Cross Cut Chisel):- इसमें छेनी की चौड़ाई को इसकी मोटाई से कम रखा जाता है। यह शॉफ्ट अथवा हब में की-वे बनाने के काम में आता है।

3. डायमण्ड कट छेनी(Diamond PointChisel):- इसका कटिंग एज चौकोर होता है। इसकी सहायता से V-ग्रूव काटे जाते है।

4. हाफ राउण्ड छेनी(Half Round Chisel):- इस छेनी का कटिंग एज अर्द्ध-वृत्ताकार होता है। इसकी सहायता से की-वे तथा ऑयल ग्रूव काटे जाते है।

5. गो-मुख छेनी(Cow-Mouth Chisel):- इस छेनी का शैंक खोखला तथा आगे से टेपर होता है। इसका कटिंग एज गाय के मुख की तरह होता है। इसका उपयोग कार्यखण्ड को परिधि पर काटने के काम आता है।

6. खोखली छेनी(Hollow Chisel):- इस छेनी का कटिंग एज गोल होता है तथा यह अन्दर से खोखला होता है। इसकी सहायता से पतले शीट अथवा मुलायम पदार्थों में छिद्र बनाये जाते है।

Hollow Chisel

7. ऑफ-सेट छेनी(Offset Chisel):- चित्र की तरह छेनी के अगले भाग को पीटकर एक साइड में ऑफसेट कर दिया जाता है। इस छेनी का प्रयोग चिपिंग करने तथा स्लॉट के चिप्स आदि को साफ करने के लिए किया जाता है।

Offset Chisel

चिपिंग(Chipping):- जब छेनी की सहायता से किसी जॉब के ऊपरी सतह से धातु की पतली परत को काटकर अलग किया जाता है तो इस प्रक्रिया को चिपिंग कहते है। चिपिंग के लिए छेनी को धातु की सतह से लगभग 40 के कोण पर झुकाकर रखा जाता है, जिससे छेनी की कटिंग एज को लगभग 10 का क्लियरेंस एंगल तथा चिप्स को 20 का रेक एंगल मिल जाता है, जिससे कटिंग आसानी से होती है। यही पर यदि क्लियरेंस एंगल कम हो जायेगा तो छेनी धातु की सतह पर फिसल जाएगी जबकि क्लियरेंस एंगल अधिक रखने पर छेनी धातु में गड़ जाएगी। कठोर धातु के लिए कटिंग एज का कोण अधिक तथा नरम धातु के लिए कटिंग एज का कोण कम रखा जाता है।

Chisel Cutting Angle


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