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विद्युत शक्ति उत्पादन(Electric Power Generation)

विद्युत शक्ति उत्पादन(Electric Power Generation)

           आज के युग में दैनिक क्रियाकलापों में विद्युत का बहुत बड़ा योगदान है। जल आपूर्ति से लेकर भोजन पकाने, ए.सी., फ्रिज आदि अनेको ऐसे विद्युत आधारित उपकरण है जिनके बिना दैनिक क्रियाकलापों को करना अत्यधिक कठिन हो जाता है। इसके अलावा अनेक यातायात के साधन, कृषि, फैक्ट्री आदि के काम है जो विद्युत आधारित हो गये है। इन सब कार्यों के लिए विद्युत शक्ति की नियमित आपूर्ति के लिए उसका नियमित उत्पादन आवश्यक है, क्योकिं विद्युत का भण्डारण बहुत ही जटिल और खर्चीली प्रक्रिया है।

विद्युत् उत्पादन की प्रमुख विधियाँ-

1. जल विद्युत संयन्त्र,          2. ऊष्मा विद्युत संयन्त्र,

3. सौर ऊर्जा संयन्त्र,             4. आणविक शक्ति संयन्त्र,

5. पवन ऊर्जा संयन्त्र

विद्युत शक्ति उत्पादन ऊर्जा के श्रोत-

ऊर्जा श्रोतों को दो वर्गों में बाटा गया है।

1. पारम्परिक ऊर्जा श्रोत-  

1. लकड़ी,            2. कोयला,           3. पेट्रालियम,   

4. परमाणविक ऊर्जा    5. प्राकृतिक गैस

2. अपारम्परिक ऊर्जा श्रोत-

1. सूर्य का प्रकाश,          2. पवन ऊर्जा,        3. ज्वार-भाटा,

4. जल प्रवाह,        5. जल वाष्प,         6. जैविक ईधन,

प्रकृति के अनुसार ऊर्जा श्रोतों को तीन वर्गों में बाटा गया है।

1. ठोस ईंधन:- लकड़ी, कोयला तथा कुछ अन्य खनिज पदार्थ, कुछ जैविक ईंधन आदि ठोस ईंधन की श्रेणी में आते है

लाभ-

1. इनका भंडारण खुले स्थानों में भी किया जा सकता है 

2. इनका परिवहन सुगम होता है

3. इनकी उत्पादन लागत कम होती है

4. इनमें विस्फोट होने की सम्भावना कम होती है

हानियां-

1. इनकी कैलोरीफिक मान काम होता है

2. जलाने के बाद अधिक मात्रा में राख बच जाती है

3. जलाने पर प्रदूषण अधिक होता है

4. जलाने के लिए पर्याप्त ऑक्सीजन की आवश्यकता होती है

2. द्रवीय ईंधन:- पेट्रोल, डीजल, केरोसीन, स्प्रिट, अल्कोहल, कोलतार आदि द्रवीय ईंधन होते है

लाभ-

1. इनका कैलोरीफिक मान, ठोस ईंधन की अपेक्षा अधिक होता है

2. इनका दहन सरल होता है

3. दहन के बाद राख आदि शेष नही बचते है

4.इनका भण्डारण टैंको में सुगमता से किया जा सकता है

हानियाँ-

1. ठोस की अपेक्षा इनका मूल्य अधिक होता है

2. अधिक ज्वलनशील होने के कारण इनका भण्डारण सुरक्षित स्थानों पर ही किया जा सकता है

3. वाष्पशील होने कारण इनको बंद टैंको में ही रखा जा सकता है

3. गैसीय ईंधन:- एल.पी.जी., सी.एन.जी. हाइड्रोजन, बायो गैस, कोल-गैस, एसिटिलीन आदि गैसीय ईंधन है

लाभ-

1. इनका कैलोरीफिक मान सर्वाधिक होता है

2. इनका दहन सबसे सरल होता है

3. दहन के बाद कोई राख नही बचता है

हानियाँ-

1. इनका भण्डारण अपेक्षाकृत सबसे कठिन होता है, क्योंकि इनको उच्च दाब पर रखा जाता है

2. अत्यधिक ज्वलनशील होने के कारण इनका भण्डारण आग से सुरक्षित स्थानों पर ही किया जा सकता है

विभिन्न ऊर्जा श्रोतों से विद्युत का उत्पादन

बहुत अधिक मात्रा(व्यापारिक स्तर पर) में विद्युत का उत्पादन करने के लिए मुख्यतः अल्टरनेटर के साथ किसी प्राइम मूवर का प्रयोग किया जाता है। किन्तु कुछ जगहों पर सोलर पॉवर(सौर ऊर्जा) का उपयोग सीधे तौर पर विद्युत उत्पादन के लिए किया जाता है। विद्युत उत्पादन के लिए अल्टरनेटर का प्रयोग करते समय प्राइम-मूवर के तौर पर जिस ऊर्जा का उपयोग किया जाता है, उसी के आधार पर उस पॉवर स्टेशन का नाम रखा जाता है। जैसे जब, जल ऊर्जा का प्रयोग किया जाता है, तो उसे हाइड्रो-इलेक्ट्रिक पॉवर स्टेशन(जल-विद्युत शक्ति उत्पादन संयन्त्र), परमाणु ऊर्जा का उपयोग किया जाता है, तो उसे परमाणविक-विद्युत शक्ति उत्पादन संयन्त्र कहते है इस प्रकार से ये विभिन्न प्रकार के होते है।

1. हाइड्रो-इलेक्ट्रिक पॉवर स्टेशन(जल विद्युत परियोजना)

2. स्टीम पॉवर स्टेशन/ थर्मल पॉवर स्टेशन

3. डीजल पॉवर स्टेशन

4. परमाणु पॉवर स्टेशन

5. सौर ऊर्जा पॉवर स्टेशन

6. पवन ऊर्जा पॉवर स्टेशन

7. ज्वार-भाटा ऊर्जा पॉवर स्टेशन

8. भू-ताप ऊर्जा पॉवर स्टेशन

नोट- लगभग सभी प्रकार के पॉवर स्टेशनों में अल्टरनेटर से ही विद्युत पैदा की जाती है बस अल्टरनेटर को घुमाने के लिए प्रयुक्त प्राइम-मूवर अलग-अलग प्रकार के होते है

1. हाइड्रो-इलेक्ट्रिक पॉवर स्टेशन:- ऐसे पॉवर स्टेशन जिसमे पानी कि स्थितिज ऊर्जा को विद्युत ऊर्जा में बदला जाता है, उसे हाइड्रो-इलेक्ट्रिक पॉवर स्टेशन कहते है।

     इसमें नदी आदि के पानी को बांध बनाकर इकठ्ठा कर लिया जाता है, फिर इस पानी को टरबाइन के ब्लेड पर गिराया जाता है। जिससे टरबाइन घुमने लगता है। इस टरबाइन की सहायता से अल्टरनेटर को घुमाया जाता है और विद्युत का उपादान शुरु हो जाता है। इसमे प्रयोग किये जाने वाले अल्टरनेटर की घूर्णन गति बहुत कम होती है जिसके कारण इसमें पोल्स की संख्या अधिक रखा जाता है। इसमें बांध इत्यादि में प्राम्भिक लागत बहुत अधिक होता है, किन्तु एक बार बन जाने के बाद विद्युत का उत्पादन लागत बहुत कम होता है इसलिए इस पॉवर स्टेशन को सबसे उत्तम माना गया है।

जल विद्युत संयन्त्रो का वर्गीकरण

1. जल-प्रवाह नियमन पर आधारित:-

1. पोखर(Pond) रहित,      2. पोखर(Pond) सहित,      3. जलश्रोत युक्त संयन्त्र

2. लोड के आधार पर:-

1. मूल लोड संयन्त्र,       2. पम्प भण्डारण संयन्त्र,         3. पीक लोड संयन्त्र

3. शीर्ष के आधार पर:-

1. निम्न शीर्ष संयन्त्र,      2. उच्च शीर्ष संयन्त्र,               3. मध्यम शीर्ष संयन्त्र

1. पोखर रहित:- इस प्रकार के संयन्त्रो में पानी को इकठ्ठा करने की सुबिधा नही होती है। ये तभी कार्य करते है जब नदी में पानी का प्रवाह होता है। नदी में पानी का प्रवाह कम होता है तो इस संयन्त्र की क्षमता कम होती है। जबकि अधिक जल प्रवाह की दशा में जितना लोड होगा उतना ही विद्युत का उत्पादन होगा बाकी पानी व्यर्थ चला जायेगा।

2. पोखर सहित:- इस प्रकार के संयन्त्रो में पानी को इकठ्ठा करने के लिए पोखरों की व्यवस्था होती है। इसमें समय के साथ उत्पन्न लोड अस्थिरता का ध्यान रखा जाता है।  इसमें जितने लोड की आवश्यकता होती है उतना ही विद्युत का उत्पादन किया जाता है।

3. जलाशय युक्त संयन्त्र:- इस प्रकार के संयन्त्रो में बहुत बड़े पैमाने पर पानी को बांध बनाकर इकठ्ठा किया जाता है। इसमें पानी का प्रवाह आवश्यकतानुसार रखा जाता है। इसमें भी जीतने लोड की आवश्यकता होती है उतना ही विद्युत का उत्पादन किया जा सकता है।

4. मूल लोड संयन्त्र:-

5. पीक लोड संयन्त्र:-

6. पम्प भण्डारण संयन्त्र:- यह एक ऐसा संयन्त्र होता है जिसमे पीक-लोड अवधि में विद्युत शक्ति उत्पादन के लिए जल का उपयोग किया जाता है, तथा पानी को जल-तल पोखर में इकठ्ठा कर लिया जाता है ऑफ पीक अवधि में यही पानी पम्प के द्वारा शीर्ष जल पोखर में पहुचाया जाता है, जिससे पीक-अवधि में यही पानी फिर से विद्युत शक्ति उत्पादन के लिए उपयोग किया जाता है

7. निम्न शीर्ष संयन्त्र:- जब जल शीर्ष 30 मीटर से कम होता है, तो निम्न शीर्ष संयन्त्र कहलता है। इसमें पोखर से पानी को सीधे ही पेन-स्टॉक की सहायता से टरबाइन तक भेजा जाता है। इसमें प्रवाह युक्त टैंक की आवश्यकता नही होती है।

8. मध्यम शीर्ष संयन्त्र:- इनका शीर्ष 30 मी० से 100मी० के मध्य होता है। इसमें पोखर से टरबाइन तक पानी ले जाने के लिए पेन-स्टॉक का प्रयोग किया जाता है।

9. उच्च शीर्ष संयन्त्र:- 100 मीटर से अधिक शीर्ष पर प्रचालित होने वाले संयन्त्र उच्च शीर्ष संयन्त्र की श्रेणी में आते है। इनमे मुख्य जल श्रोत से सुरंग द्वारा जल, प्रवाह युक्त टैंक में लाया जाता है तथा इससे पेन-स्टॉक के द्वारा पानी टरबाइन तक भेजा जाता है। इसमें सामान्यतः फ्रांसिस टरबाइन अथवा पेल्टन-व्हील टरबाइन का प्रयोग किया जाता है।

2. थर्मल पॉवर स्टेशन:- इस पॉवर स्टेशन में विद्युत का उत्पादन दो चरणों में होता है। पहला- बायलर हाउस में स्टीम बनाना, दूसरा- जनरेटर रूम में विद्युत का उत्पादन

          सबसे पहले कोयले को जलाकर बायलर में पानी गर्म करके भाप में बदला जाता है। फिर भाप को सुपर-हीटर कि सहायता से अधिक दबाब पर लाया जाता है। फिर इस भाप को टरबाइन कि ब्लेड पर छोड़ा जाता है, जिससे टरबाइन घुमने लगता है। इस टरबाइन को अल्टरनेटर के लिए प्राइम मूवर की तरह उपयोग किया जाता है। अल्टरनेटर के घुमने से विद्युत का उत्पादन होने लगता है। इस विद्युत् को आगे सर्किट-ब्रेकर से जोड़ा जाता है तथा आगे आवश्यकतानुसार उपयोग के लिए भेजा जाता है। ऐसे पॉवर स्टेशन उसी स्थान पर बनाये जाते है जहाँ कोयले और पानी कि उपलब्धता हो।

ताप विद्युत् संयन्त्र के भाग-

1. बॉयलर- बॉयलर के अन्दर ईंधन को जलाकर पानी को भाप में बदला जाता है।

2. सुपर-हीटर- इसमें भाप को उच्च दाब पर लाया जाता है, तथा आर्द्र भाप को शुष्क किया जाता है।

3. भाप टरबाइन- उच्च ताप तथा दाब की भाप को भाप टरबाइन की ब्लेडों पर छोड़ा जाता है, जिससे टरबाइन घूमने लगता है।

4. अल्टरनेटर- टरबाइन की घूर्णन गति को अल्टरनेटर पर आरोपित किया जाता है। अल्टरनेटर घूर्णीय ऊर्जा को विद्युत ऊर्जा में परिवर्तित करता है।

5. कण्डेन्सर- टरबाइन में से भाप निकलकर कण्डेन्सर में जाता है। जहां भाप को ठण्डा किया जाता है, जिससे भाप पुनः पानी में बदल जाता है और इसी पानी को दोबारा पंप की सहायता से बॉयलर में भेजा जाता है।

6. इकनोमाइजर- इसका उपयोग बॉयलर की दक्षता को बढ़ाने के लिए किया जाता है। बॉयलर से निकालने वाली गर्म गैसों का उपयोग करके बॉयलर में भेजे जाने वाले पानी को गर्म किया जाता है।

विद्युत शक्ति उत्पादन

3. डीजल विद्युत पॉवर स्टेशन:- इसमे प्राइम-मूवर के लिए टरबाइन के स्थान पर डीजल इंजन प्रयोग किया जाता है। यह शक्ति संयन्त्र साधारणतया छोटा होता है। इनका उपयोग उसी स्थान पर किया जाता है, जहाँ पर विद्युत की आवश्यकता होती है तथा आपातकालीन विद्युत की आवश्यकता होती है। जैसे- रेगिस्तान, युद्ध-स्थल, कैम्पों, शादी-विवाह आदि डीजल महंगा तथा सीमित होने के कारण इनका उपयोग बहुत खर्चीला होता है।

4. परमाणु पॉवर स्टेशन:- इस पॉवर स्टेशन में परमाणु ऊर्जा से विद्युत ऊर्जा बनायी जाती है। इसमें यूरेनियम जैसे रेडियोधर्मी पदार्थ के संलयन से ऊर्जा प्राप्त किया जाता है। इस ऊर्जा से पानी को गर्म करके भाप बनाया जाता है, फिर भाप को टरबाइन ब्लेड पर छोड़ा जाता है। जिससे टरबाइन घुमने लगता है। यह टरबाइन अल्टरनेटर के लिए प्राइम-मूवर का कार्य करता है।

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