Admission open for session 2024-26
Camera is a responsive/adaptive slideshow. Try to resize the browser window
It uses a light version of jQuery mobile, navigate the slides by swiping with your fingers
It's completely free (even though a donation is appreciated)
Camera slideshow provides many options to customize your project as more as possible
It supports captions, HTML elements and videos.
STUDENT CORNER टैब में MOCK TEST का लिंक दिया गया है जहां से आप परीक्षा की तैयारी कर सकते है | Admission open for session 2024-26 .

प्रदीप्ति(Illumination):-

 

प्रदीप्ति(Illumination):- प्रकृति में कुछ पदार्थ ऐसे होते हैं कि जब उन पर प्रकाश डाला जाता है तो वे उसे अवशोषित करके अपेक्षाकृत कम आवृत्ति का प्रकाश उत्सर्जित करते हैं यह उत्सर्जन केवल तब तक ही होता है जब तक कि उन पर प्रकाश डाला जाता है प्रकाश उत्सर्जन की इस क्रिया को प्रतिदीप्ति तथा ऐसे पदार्थों को प्रदीप्ति पदार्थ कहते हैं। प्रदीप्ति को "जगमगाहट" शब्द भी दिया जा सकता है

प्रकाश:-  प्रकाश एक प्रकार की ऊर्जा है जिसकी सहायता से हम वस्तुओं को देखते है जब प्रकाश की किरणें किसी वस्तु पर पड़ती है तो उससे टकराकर हमारी आंखों पर पहुंचती है जिससे वस्तु हमें दिखाई देने लगती है सूर्य का प्रकाश 7 विभिन्न रंगो {बैंगनी Violet, आसमानी Indigo, नीला Blue, हरा Green, पीला Yellow, नारंगी Orange, लाल Red( बैंआनीहपीनाला = VIBGYOR)} से मिलकर बना होता है        प्रकाश का तरंगदैर्ध्य सभी रंगो के लिए अलग-अलग होता है जिसमे बैंगनी रंग का तरंगदैर्ध्य सबसे कम (380×10-9 मीटर) तथा लाल रंग की तरंगदैर्ध्य सबसे अधिक (760×10-9 मीटर) होता है। बैंगनी रंग (380×10-9 मीटर) से कम तरंगदैर्ध्य वाली तरंगो को पराबैंगनी(Ultra Violet) तरंगे तथा लाल रंग  (760×10-9  मीटर) से अधिक तरंगदैर्ध्य वाली तरंगो को अवरक्त(Infra red) तरंगे कहते है

ऊष्मीय एवं प्रकाश का विकिरण:-

कोई भी वैद्युतिक ऊष्मक तन्तु जब 900 C से कम ताप तक केवल ऊष्मीय विकिरण उत्सर्जित करता हैजबकि तन्तु जब 900 C से अधिक गर्म हो जाता है तो वह ऊष्मीय किरणों के साथ-साथ प्रकाश किरणे भी उत्सर्जित करने लगता है

प्रदीप्ति से संबंधित शब्दावली 

प्रदीप्ति पुँज- किसी प्रकाश-स्रोत से उत्सर्जित होने वाली प्रकाश किरणों की कुल मात्रा प्रदीप्ति पुँज कहलाता है इसे F या Φ से दर्शाया जाता है इसका मात्रक ल्यूमन (lm) होता है 

प्रदीप्ति तीव्रता-  किसी प्रकाश स्रोत से किसी विशेष दिशा में प्रति इकाई ठोस कोण में उत्सर्जित होने वाला प्रदीप्ति पुंज उस प्रकाश स्रोत की प्रदीप्ति तीव्रता कहलाती है इसे I से दर्शाया जाता है इसका मात्रक केण्डिला होता है एक केण्डिला = एक ल्यूमन / स्टेरेडियन 

ठोस कोण-  किसी खोखले गोले के इकाई क्षेत्रफल वाले वक्र तल से उसके केंद्र पर बना आयतनात्मक कोण ठोस कोण ω कहलाता है ठोस कोण को स्टेरेडियन में नापा जाता है 

ल्यूमन- एक मानक मोमबत्ती से एक ठोस कोण में उत्सर्जित होने वाली प्रकाश की कुल मात्रा एक ल्यूमन  कहलाती है

मानक मोमबत्ती- 7.776 ग्राम प्रति घंटे की दर पर जलने वाली मोमबत्ती मानक मोमबत्ती कहलाती है

कैंडल पावर- प्रदीप्ति पुंज को नापने की एक अन्य इकाई कैंडल पावर है 

        एक केण्डिला पावर = 1ल्यूमन/4π =  1ल्यूमन/ स्टेरेडियन 

लक्स- किसी प्रकाशित तल पर पड़ने वाले प्रकाश की तीव्रता का मात्रक है इसे मीटर-केण्डिला भी कहते हैं।                1 लक्स = 1 ल्यूमन / मीटर2

प्रदीप्ति- प्रकाशित तल के इकाई क्षेत्रफल पर तल की लम्बवत दिशा से पड़ने वाले प्रकाश की मात्रा उस तल की प्रदीप्ति कहलाती है। इसे E से दर्शाया जाता है।

          E = प्रदीप्ति पुन्ज(F) / तल का क्षेत्रफल(A)

प्रदीप्ति दक्षता- किसी वैद्युतिक प्रकाश स्रोत से उत्पन्न होने वाले प्रकाश की कुल मात्रा तथा उसे प्रदान की गई वद्युतिक शक्ति का अनुपात उस स्रोत की प्रदीप्ति दक्षता कहलाती है।

          प्रदीप्ति दक्षता = आउटपुट ल्यूमन में / इनपुट वाट में

अवशोषण गुणांक- जब प्रकाश की किरणें किसी माध्यम में से होकर गुजरती है अथवा किसी तल से परावर्तित होती हैं तो प्रकाश की कुछ मात्रा माध्यम द्वारा अवशोषित कर ली जाती है यह प्रक्रिया प्रकाश का अवशोषण कहलाती है।

          अवशोषण गुणांक = अवशोषित प्रकाश / आपतित प्रकाश

परावर्तन गुणांक- किसी तल द्वारा परावर्तित प्रकाश एवं उस पर आपतित प्रकाश के अनुपात को परावर्तन गुणांक कहते हैं।

          परावर्तन गुणांक = परावर्तित प्रकाश / आपतित प्रकाश

पारेषण गुणांक- किसी पारदर्शी माध्यम से पारेषित प्रकाश एवं उस पर आपतित प्रकाश के अनुपात को पारेषण गुणांक कहते है।

          पारेषण गुणांक = पारेषित प्रकाश / आपतित प्रकाश

प्रदीप्ति के कारक:-

किसी प्रकाशित तल की प्रदीप्ति(जगमगाहट) निम्न बातों पर निर्भर करती है

1. प्रकाशित स्रोत को तल से उपयुक्त ऊँचाई पर स्थापित किया जाना चाहिए क्योंकि अधिक ऊँचाई पर स्थापित करने से तल पर प्रकाश की तीब्रता घट जाती है

2. प्रकाशित होने वाले तल के क्षेत्रफल के अनुसार ही प्रकाशित स्रोत को लगाना चाहिए

3. प्रकाश की प्रत्यक्ष, अर्द्धप्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष विधि भी तल की प्रदीप्ति पर निर्भर करती है

4. प्रकाशित तल का रंग भी तल की प्रदीप्ति पर निर्भर करती है

प्रदीप्ति का नियम:-

1. व्युत्क्रम वर्ग नियम,     2. लैम्बर्ट का कोज्या नियम

1. व्युत्क्रम वर्ग नियम- किसी प्रकाश-स्रोत द्वारा किसी प्रकाशित तल पर पहुचने वाली प्रदीप्ति(जगमगाहट) उस तल से प्रकाश-स्रोत की दुरी के वर्ग के व्युत्क्रमानुपाती तथा प्रदीप्ति तीव्रता के अनुक्रमानुपाती होता है

                                        E    I/d2

    अर्थात प्रकाशित तल की प्रकाश-स्रोत से दूरी को दुगुना कर देने पर प्रदीप्ति क्षेत्रफल 4 गुना बढ़ जाता है अतः प्रदीप्ति का मान चौथाई रह जाता है

2. लैम्बर्ट का कोज्या नियम- किसी प्रकाश-स्रोत के द्वारा किसी प्रकाशित तल पर पहुचने वाली प्रदीप्ति, स्रोत से आने वाली प्रकाश किरण तथा अभिलम्ब के बीच बने कोण की कोज्या के अनुक्रमानुपाती होती है चित्र के अनुसार यदि P एक प्रकाश स्रोत है, AB एक प्रकाशित तल है, PA एक प्रकाश किरण है तथा PB अभिलम्ब है तो,

                                             E    cosθ

नोट - दोनों नियमों को मिलाने पर,

                                          E    I.cosθ/d2


लैंप की किस्में :- लैंप निम्न प्रकार के होते है

1. इन्केन्डीसैंट लैम्प(Incandescent Lamp)-

   a). कार्बन फिलामेन्ट लैम्प

   b). धात्विक फिलामेन्ट लैम्प

i. निर्वात लैम्प,    ii. गैस लैम्प

2. गैस डिस्चार्ज लैम्प(Gas Discharge Lamp)-

   a). सोडियम वेपर लैम्प

   b). मरकरी वेपर लैम्प

i. उच्च दाब मरकरी वेपर लैम्प,   

ii. निम्न दाब मरकरी वेपर लैम्प

3. फ्लोरसैंट ट्यूब एवं नियोन लैंप(Flouresent Tube and Neon Lamp)-

4. आर्क लैंप(Arc Lamp)-

 

0 comments:

Post a Comment