पदार्थ(Matter):- जो स्थान घेरता हो तथा जिसका कुछ न कुछ भार हो पदार्थ कहलाता है। पदार्थ की तीन अवस्थायें होती है। ठोस, द्रव और गैस
अणु(Molecule):- प्रत्येक पदार्थ छोटे-छोटे कणों से बना
होता है जिसे अणु कहते है अणुओं में पदार्थ के सभी भौतिक तथा रासायनिक गुण
विद्यमान रहते है अणु स्वतन्त्र अवस्था में रह सकते है
परमाणु(Atom):- किसी पदार्थ का परमाणु, अणु से भी छोटा
होता है परमाणु रासायनिक क्रिया में तो भाग ले सकता है किन्तु स्वतन्त्र अवस्था
में नही रह सकता है
तत्व(Elements):- केवल एक ही प्रकार के परमाणुओं से बने
पदार्थ तत्व कहलाते है जैसे-हाइड्रोजन
यौगिक(Compound):- दो या दो से अधिक प्रकार के परमाणुओं के
रासायनिक संयोग से बने पदार्थ यौगिक कहलाते है
मिश्रण(Mixture):- दो या दो से अधिक
प्रकार के पदार्थों को मिलाने पर बना पदार्थ मिश्रण कहलाता है
परमाणु संरचना:- परमाणु इलैक्ट्रॉन, प्रोटॉन और न्यूट्रॉन
से मिलकर बना होता है जिसमे प्रोटॉन और न्यूट्रॉन मिलकर नाभिक बनाते है तथा इलैक्ट्रॉन
नाभिक के चारों ओर घूमता रहता है प्रोटॉन पर +1.6x10-19 कूलॉम आवेश, इलैक्ट्रॉन
पर -1.6x10-19 कूलॉम आवेश तथा न्यूट्रॉन आवेश रहित होता है प्रत्येक परमाणु
सामान्य अवस्था में आवेश रहित होता है क्योंकि इलैक्ट्रॉन और प्रोटॉन की संख्या बराबर
होती है तथा उनपर आवेश भी बराबर किन्तु विपरीत प्रकृति के होते है
परमाणु क्रमांक- किसी तत्व के एक परमाणु में विद्यमान इलैक्ट्रॉन
अथवा प्रोटॉन की संख्या उसकी परमाणु संख्या कहलाती है
परमाणु भार- किसी तत्व के एक परमाणु के नाभिक में विद्यमान
प्रोटॉन तथा न्यूट्रॉन की कुल संख्या उसका परमाणु भार अथवा द्रव्यमान संख्या
कहलाती है
संयोजी इलैक्ट्रॉन- किसी परमाणु के अंतिम कक्षा के इलैक्ट्रॉन
संयोजी इलैक्ट्रॉन कहलाते है क्योंकि यही इलैक्ट्रॉन दूसरे परमाणु के इलैक्ट्रॉनों
से रासायनिक क्रिया करते है
मुक्त इलैक्ट्रॉन:- बहुत से परमाणुओं के अंतिम कक्षा में केवल
एक या दो इलैक्ट्रॉन होते है जिन्हें दुसरे परमाणु जिनके बहरी कक्षा में एक या दो इलैक्ट्रॉन
की कमी होती है के द्वारा बहुत ही कम आकर्षण बल द्वारा अपनी ओर आकर्षित कर लिया
जाता है ऐसे इलैक्ट्रॉन्स को ही मुक्त इलैक्ट्रॉन कहते है
आयन एवं आयनीकरण:- जब किसी परमाणु से कुछ इलैक्ट्रॉन्स निकल
जाते है उसमे आ जाते है तो परमाणु उदासीन नही रह जाता है परमाणु पर आवेश आ जाता है
जिसे आयन कहते है
धनायन(Cation)- परमाणु से जब कुछ इलैक्ट्रॉन निकल जाते
है तो परमाणु के नाभिक में प्रोटॉनो की संख्या बढ़ जाती है जिससे परमाणु पर धन-आयन
आ जाता है
ऋणायन(Anion)- परमाणु में जब कुछ इलैक्ट्रॉन
आ जाते है तो परमाणु के नाभिक में प्रोटॉनो की संख्या घट जाती है जिससे परमाणु पर
ऋण-आयन आ जाता है
विद्युत् धारा:- किसी चालक में इलैक्ट्रॉन
या आवेश के प्रवाह की दर को विद्युत् धारा
कहते है इसका प्रतिक ‘I’ तथा मात्रक एम्पियर(A) होता है इसकी चाल
प्रकाश की चाल के बराबर होती है विद्युत् धारा की दिशा धन से ऋण की ओर अर्थात इलैक्ट्रॉन
प्रवाह के विपरीत दिशा में होती है
विद्युत् धारा के प्रकार:- 1. प्रत्यावर्ती धारा(Alternative Current)
2. दिष्ट धारा(Direct Current)
1. प्रत्यावर्ती
धारा(Alternative Current)- वह विद्युत् धारा जिसकी दिशा समय के साथ
परिवर्तित होती है तथा एक नियत समय अंतराल पर उसकी पुनरावृत्ति होती रहती है प्रत्यावर्ती
धारा कहलाती है जैसे घरेलु वैद्युत धारा
2. दिष्ट धारा(Direct
Current)- वह विद्युत् धारा जिसकी दिशा समय के सापेक्ष नियत होती है दिष्ट धारा कहलाती है जैसे बैटरी की वैद्युत
धारा
वैद्युत धारा के
प्रभाव:-
1. उष्मीय प्रभाव- प्रत्येक चालक स्वयं
में से बहने वाली विद्युत् धारा का विरोध करती है जिसके फलस्वरूप चालक गर्म हो
जाती है उष्मीय प्रभाव के उपयोग से इलेक्ट्रिक प्रेस, इलेक्ट्रिक हीटर, वल्ब आदि
का निर्माण हुआ
2. चुम्बकीय प्रभाव-
जब किसी
चालक में से विद्युत् धारा प्रवाहित की जाती है तो उस चालक के चारो ओर चुम्बकीय
क्षेत्र उत्पन्न हो जाता है इस प्रभाव का उपयोग पंखा, मोटर, जनित्र, विद्युत घण्टी
आदि में किया जाता है
3. रासायनिक प्रभाव-
अम्लीय विलयन में धारा प्रवाहित करने पर
विलयन में घुले पदार्थ अपने अवयवों में विघटित हो जाते है इस प्रभाव का उपयोग सैल,
विद्युत् लेपन आदि में किया जाता है
4. किरण प्रभाव- जब अधिक वोल्टेज और
अधिक फ्रीक्वेंसी वाली विद्युत धारा Vacuum Tube में प्रवाहित होती है तो X- किरणें
उत्पन्न होती है इसका उपयोग X-rays मशीन बनाने में किया जाता है
5. गैस आयनीकरण
प्रभाव- इसके प्रयोग से उच्च प्रकाश तीव्रता वाले वल्बों जैसे सोडियम वेपर
लैम्प आदि में किया जाता है
विद्युत् सम्बन्धी महत्वपूर्ण
पद:-
1. विद्युत् वाहक
बल(E.M.F.)- किसी चालक में विद्युत् धारा को एक सिरे से दुसरे सिरे तक प्रवाहित
करने वाला बल विद्युत् वाहक बल(वि०वा०ब०) कहलाता है
2. विभव- इकाई आवेश को अनंत
से किसी विन्दु तक लाने में किया गया कार्य उस विन्दु का विभव कहलाता है
3. विभवान्तर- किन्ही दो विन्दुओं
के विभवों में जो अंतर होता है उसे विभवान्तर कहते है विभवान्तर के कारण ही दोनों
विन्दुओं के बीच विद्युत् धारा प्रवाहित होती है
4. वैद्युतिक कार्य-
किसी
विद्युतीय परिपथ में विद्युत् वाहक बल(वि०वा०ब०) द्वारा इलैक्ट्रॉनो को एक स्थान
से दुसरे स्थान तक पहुचाने में किया गया कार्य विद्युतीय कार्य कहलाता है इसका
मात्रक जूल होता है
कार्य = बल X विस्थापन
= EMF X धारा(I) X समय(t)
= V.I.t
5. वैद्युतिक शक्ति-
किसी
विद्युतीय उपकरण की कार्य करने की दर विद्युतीय शक्ति कहलाती है इसका मात्रक
हार्सपॉवर होता है
विद्युतीय शक्ति(P) = विद्युतीय कार्य / समय
= V.I
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