वैद्युतिक मशीनों एवं उपकरणों के प्रचालन के अंतर्गत हमें विभिन्न प्रकार के वैद्युतिक राशियों के मापन की आवश्यकता होती है। जैसे वोल्टेज, धारा, आवृत्ति, प्रतिरोध, पावर इत्यादि इन वैद्युतिक राशियों के मापन के लिए उपयोग किए जाने वाले यंत्र वैद्युतिक मापक यंत्र कहलाते हैं। यह मापक यंत्र विद्युत धारा के स्थिर वैद्युत प्रभाव, वैद्युत उष्मीय प्रभाव, विद्युत चुम्बकीय प्रभाव एवं विद्युत रासायनिक प्रभाव के उपयोग पर आधारित होते हैं।
वैद्युतिक मापक यंत्रों का वर्गीकरण-
वैद्युतिक मापक यंत्र को मुख्यतः दो वर्गों में विभाजित किया जाता है।
1. प्राथमिक यंत्र- वह यंत्र जो किसी सूचक युक्ति के द्वारा किसी वैद्युतिक राशि की केवल उपस्थिति को दर्शाता है।
2. द्वितीयक यंत्र- वह यंत्र जो किसी सूचक युक्ति के
द्वारा किसी पुर्वांकित पैमाने पर किसी वैद्युतिक राशि का मान दर्शाता है द्वितीयक
यंत्र कहलाता है
द्वितीयक यंत्र मुख्यतः तीन प्रकार के होते हैं।
1. सूचक या इंडिकेटिव यंत्र
2. रिकॉर्डिंग यंत्र
3. इंटीग्रेटिंग यंत्र
1. सूचक या इंडिकेटिव यंत्र(Indicating Instruments)-
वह यंत्र जो किसी वैद्युतिक राशि के तात्कालिक मान को एक संकेतक के द्वारा एक पूर्वांकित पैमाने पर दर्शाता है इंडिकेटिव यंत्र कहलाता है। जैसे एम्पियर मीटर, वोल्टमीटर, ओममीटर आदि।
2. रिकॉर्डिंग यंत्र(Recording Instruments)-
वह यंत्र जो किसी वैद्युतिक राशि के तात्कालिक मान को एक सुई, पेन, पेंसिल आदि के द्वारा एक ग्राफ पेपर पर अंकित करता जाता है रिकॉर्डिंग यंत्र कहलाता है।रिकॉर्डिंग यंत्र के द्वारा वैद्युतिक राशि के मान में एक समय अंतराल के अंतर्गत होने वाले परिवर्तनों का पूरा रिकार्ड तैयार किया जा सकता है। जैसे रिकॉर्डिंग वोल्टमीटर, रिकॉर्डिंग पावर फैक्टर मीटर आदि।
3. इन्टीग्रेटिंग यंत्र(Integrating Instruments)-
वह यंत्र जो किसी वैद्युतिक राशि के प्रेक्षण काल के अन्तर्गत कुल मान को दर्शाता है इन्टीग्रेटिंग यंत्र कराता है। जैसे किलोवाट घंटा मीटर।
वैद्युतिक मापन के विभिन्न यंत्र- धारा, वोल्टेज, प्रतिरोध, ऊर्जा एवं शक्ति इत्यादि का मापन करने के लिए विभिन्न डिजिटल एवं एनालॉग यंत्रों का उपयोग किया जाता है। जिनका वर्णन नीचे दिया गया है।
1.मल्टीमीटर(Multimeter)- मल्टीमीटर का अर्थ है कई प्रकार की वैद्युतिक राशियों को मापने वाला यंत्र। यह राशियां है एम्पियर, वोल्ट तथा ओह्म इस यंत्र को बहुमापी एवं एवं एवोमीटर(AVO meter) भी कहते हैं मल्टीमीटर दो प्रकार के होते हैं।1.एनालॉग मल्टीमीटर, 2.डिजिटल मल्टीमीटर।
1.एनालॉग मल्टीमीटर- एनालॉग मल्टीमीटर धारा, वोल्टेज व प्रतिरोध तीनों ही वैद्युतिक राशियों को मापने हेतु प्रयोग होता है। इसमें वैद्युतिक राशियों के मापन को एक पैमाने पर संकेतक द्वारा दर्शाया जाता है। इसलिए इसे एनालॉग मल्टीमीटर कहते हैं। परास स्विच की सहायता से यह पृथक-पृथक किसी भी वैद्युत राशि को मापने हेतु प्रयोग में लाया जा सकता है। एनालॉग मल्टीमीटर के द्वारा निम्न राशियों का मापन किया जाता है। i-वोल्टेज, ii-धारा, iii-प्रतिरोध का मापन
2.डिजिटल मल्टीमीटर- जिन मल्टीमीटर में विद्युत राशि के पाठ्यांक को डायल पैमाने पर प्वाइंटर के द्वारा दर्शाए जाने का स्थान पर सीधे ही एल०सी०डी० डिस्पले इकाई पर डिजिट्स में दर्शाया जाता है डिजिटल मल्टीमीटर कहलाता है। एनालॉग मल्टीमीटर के द्वारा विभिन्न राशियों को मापते समय चल प्रणाली के द्वारा पाठ्यांक पढ़ा जाता है।जिससे त्रुटियों के कारण इनके द्वारा प्राप्त पाठ्यांक में यथार्थता की कमी होती है।जबकि डिजिटल मल्टीमीटर के द्वारा प्राप्त किए गए पाठ्यांक में यथार्थता अधिक होती है। यह आकार में छोटे तथा वजन में हल्के होते हैं। इनके द्वारा प्राप्त पाठ्यांक अंको में पढ़ा जाता है।
2.वाटमीटर(Wattmeter)- किसी विद्युत परिपथ की शक्ति अर्थात वोल्टेज मापने के लिए प्रयोग किया जाने वाला यंत्र वाट मीटर कहलाता है। शक्ति की इकाई वाट होती है जिसे W से प्रदर्शित किया जाता है। डी.सी. परिपथ में शक्ति(W)= VI तथा ए.सी. परिपथ में शक्ति(W)= VI.cosϕ होता है इस प्रकार डी.सी. परिपथ में अमीटर से विद्युत धारा तथा वोल्टमीटर से वोल्टेज माप कर गणना द्वारा शक्ति(वाटेज) ज्ञात की जा सकती है। इसी प्रकार ए.सी. परिपथ में अमीटर से विद्युत धारा, वोल्ट मीटर से वोल्टेज तथा पावर फैक्टर मीटर से पावर फैक्टर मापकर गणना द्वारा शक्ति ज्ञात की जा सकती है। परन्तु इस प्रक्रिया में कई दोष होने की संभावना रहती है। यह दोस निम्न प्रकार है-
1. अधिक संख्या में मापक यंत्र प्रयोग किए जाने के कारण पाठ्यांक लेने में त्रुटि की संभावना बनी रहती है और साथ ही माप की यथार्थता भी निम्न स्तरीय हो जाती है।
2. परिपथ का संयोजन कार्य जटिल होता है।
3. यह विधि परिवर्तनशील लोड वाले परिपथों के लिए उपयुक्त नहीं है।
वाट मीटर के प्रकार- गणना द्वारा किसी परिपथ की वाटेज ज्ञात करने की प्रणाली में विद्यमान दोषों के निवारण हेतु कई प्रकार के वाटमीटर बनाए गए हैं इनमें किसी वैद्युतिक परिपथ की वाटेज को एक संकेतक के द्वारा सीधे ही एक पुर्वांकित पैमाने पर दर्शाने की व्यवस्था की जाती है जिससे की तुरंत ही पाठ्यांक पढ़ा जा सके। ये यन्त्र निम्न प्रकार के होते हैं।
1. डायनमोमीटर टाइप वाट मीटर
2. इंडक्शन टाइप वाट मीटर
3. स्थिर वैद्युतिक टाइप वाट मीटर
डायनेमो
मीटर टाइप एवं इंडक्शन टाइप वाटमीटर के मध्य अंतर-
डायनेमो मीटर टाइप |
इंडक्शन टाइप वाटमीटर |
1. यह ए.सी. तथा डी.सी. दोनों
पर प्रयोग किए जा सकते हैं। 2. इनमें कार्यकारी बलाघूर्ण दुर्बल होता है। 3. इनमें
तुलनात्मक शक्ति व्यय कम होता है। 4. इसमें चल
तंत्र का भार अपेक्षाकृत कम होता है। 5. यह उच्च
परिशुद्धता रखते हैं। |
1. इन्हें
केवल ऐसी पर ही प्रयोग किया जा सकता है। 2. इसमें कार्यकारी बलाघूर्ण शक्तिशाली होता है। 3. इसमें
तुलनात्मक शक्ति व्यय
उच्च होता है। 4. इसमें चल
तंत्र का भार अपेक्षाकृत अधिक होता है। 5. यह कम
परिशुद्ध होते हैं। |
3.एनर्जीमीटर(Energy meter)- ऊर्जा मापन के लिए प्रयुक्त होने वाले यंत्र को एनर्जी मीटर कहा जाता है। ऊर्जा की इकाई जूल तथा किलो वाट घंटा होती है अर्थात किसी विद्युत परिपथ में किलो वाट घंटा मात्रक में विद्युत शक्ति की खपत मापने वाला यंत्र एनर्जी मीटर कहलाता है। यह एक इंटीग्रेटिंग प्रकार का यंत्र है। किसी एनर्जी मीटर में 3 मुख्य भाग होते हैं।
4.फ्रीक्वेंसीमीटर(Frequency meter)- विद्युत उत्पादन एवं वितरण केंद्रों पर ए.सी. स्रोत की फ्रीक्वेंसी मापने के लिए प्रयोग किए जाने वाला यंत्र फ्रीक्वेंसी मीटर कहलाता है। ये यन्त्र निम्न प्रकार के होते है-
1.रीड प्रकार का फ्रीक्वेंसी मीटर 2.विद्युत डायनेमिक फ्रीक्वेंसी मीटर
3.मूविंग आयरन फ्रीक्वेंसी मीटर 4.इलेक्ट्रॉनिक फ्रीक्वेंसी मीटर
इलेक्ट्रॉनिक फ्रीक्वेंसी मीटर- यह एक इलेक्ट्रॉनिक परिपथ आधारित यंत्र होता है। जिसमें प्रायः LED(लाइट एमिटिंग डायोड) प्रदर्शक इकाई के द्वारा श्रोत आवृत्ति का यथार्थ मान अंकों में दर्शाया जाता है। इस मापक यंत्र की माप सीमा 40Hz से 60Hz होती है।
5.पॉवर फैक्टर मीटर(Power Factor meter)-
किसी सिंगल फेज अथवा थ्री फेज ए.सी. परिपथ में पावर फैक्टर की गणना निम्न सूत्र की
सहायता से की जा सकती है
W = VI.cosϕ
cosϕ = W / VI
पावर फैक्टर मीटर के प्रकार- ये मुख्यतः तीन प्रकार के होते हैं।
1. सिंगल-फेज पावर फैक्टर मीटर
2. 3-फेज पावर फैक्टर मीटर
3. मूविंग आयरन प्रकार का पावर फैक्टर मीटर
6.अधिकतम KVA आवश्यकता सूचक यंत्र- किसी उपभोक्ता की विद्युत स्थापना के लिए अधिकतम KVA आवश्यकता दर्शाने वाले यंत्र, अधिकतम KVA आवश्यकता सूचक यंत्र कहलाते है यह
यंत्र लगभग 30 मिनट के अंतराल पर अधिकतम KVA आवश्यकता
दर्शाता है
7.अर्थ टेस्टर(Earth Tester)- भूमि का प्रतिरोध मापने के लिए अर्थ टेस्टर का प्रयोग किया जाता है। अर्थ इलेक्ट्राड की सही स्थिति जानने हेतु इस यंत्र के द्वारा अर्थ प्रतिरोध मापा जाता है। जिससे कि अर्थिंग की गुणवत्ता बनी रहे। अर्थ टेस्टर को अर्थ टेस्टर में मेगर भी कहा जाता है।
8.मेगर(Megger)- अर्थ का प्रतिरोध नापने वाला यंत्र मेगर अथवा अर्थ प्रतिरोध टेस्टर कहलाता है। इसमें 500 वोल्ट डी.सी. उत्पन्न करने वाला जनित्र प्रयोग किया जाता है। यंत्र की संरचना डायनमोमीटर यंत्र के समान होती है। यदि इस यंत्र में 5000 वोल्ट डी.सी. उत्पन्न करने वाला जनित्र प्रयुक्त किया जाए तो इसके द्वारा 100,000 मेगा ओम तक प्रतिरोध नापा जा सकता है। ऐसा यंत्र इंसुलेशन टेस्टर या अर्थ टेस्टर कहलाता है।
9.टैकोमीटर(Tachometer)- टैकोमीटर दो ग्रीक शब्द टैको(Tacho) एवं मेट्रोन से मिलाकर बनाया गया है। इसमें टैको का तात्पर्य मापने से है। अतः टैकोमीटर एक ऐसी युक्ति है जो किसी मशीन जैसे मोटर, जनरेटर आदि की गति मापने में प्रयुक्त की जाती है। जो मापक यंत्र वैद्युतिक मोटर की घूर्णन गति अथवा वाहन की घूर्णन गति मापता है वह टैकोमीटर कहलाता है। वैद्युतिक मोटर की गति चक्र प्रति मिनट(r.p.m.) में तथा वाहनों की गति किलोमीटर प्रति घंटा में व्यक्त की जाती है। यह यंत्र मुख्यतः निम्न प्रकार के होते हैं।
1.यांत्रिक टैकोमीटर, 2.वैद्युतिक टैकोमीटर, 3.डी.सी. टैको-जनित्र, 4.ए.सी. टैको-जनित्र
10.टोंग परीक्षक(Tong Tester)- किसी प्रत्यावर्ती धारा परिपथ में बिना किसी बाधा के विद्युत धारा को मापने के लिए टोंग परीक्षक का प्रयोग किया जाता है। इसे साधारण भाषा में क्लिप-ऑन टेस्टर भी कहते हैं। यह मापक यंत्र केवल उस समय कार्य करता है जब धारा उसके विक्षेपण क्षेत्र में प्रवाहित होती है। यह यंत्र पारस्परिक प्रेक्षण सिद्धांत पर कार्य करता है। धारा मापने के लिए टोंग परीक्षक के जॉ(Jaw) खोलकर चालक के चारों ओर रखें तथा उसके जॉ को बंद होने दें अब इसके अंशाकिंत पैमाने पर संकेतक की स्थिति को पढ़कर धारा का मान ज्ञात कर लेते हैं।
11.हॉट वायर यन्त्र(Hot Wire Instrument)- यदि किसी प्रतिरोध तार में से विद्युत धारा प्रवाहित की जाए तो वह गर्म हो जाता है और गर्म होने से उसकी लंबाई में वृद्धि हो जाती है। इस सिद्धांत का उपयोग विद्युत धारा का मान ज्ञात करने के लिए किया जा सकता है। इस प्रकार-
लंबाई में वृद्धि ∝ ऊष्मा ∝ विद्युत धारा
12.थर्मोकपल यन्त्र(Thermocouple Instrument)- यदि दो भिन्न धातुओं की छड़ों के गर्म तथा ठंडे सिरे के बीच कुछ तापांतर उत्पन्न कर दिया जाए तो उन क्षणों के मध्य एक विद्युत वाहक बल विकसित हो जाता है। यह प्रभाव पिजों इलेक्ट्रिक प्रभाव कहलाता है और इस प्रकार उत्पन्न विद्युत वाहक बल पीजों विद्युत वाहक बल कहलाता है। दो भिन्न धातुओं की युक्ति थर्मोकपल कहलाती है।
मापन में त्रुटि एवं सुधार- मापन में त्रुटियों को निम्न तीन भागों में विभाजित किया जाता है।
1.सिस्टमैटिक त्रुटियां 2. रैण्डम त्रुटियां 3. ग्रॉस त्रुटियां
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