प्रत्येक भवन में वैद्युतिक
वायरिंग के स्थापना के अंतर्गत अर्थ भी अनिवार्य रूप से स्थापित किया जाता है । अर्थ की स्थापना मनुष्य के
जीवन, भवन एवं मशीनों की सुरक्षा
की दृष्टि से अत्यन्त महत्वपूर्ण है । इसी उद्देश्य की पूर्ति के लिए अर्थ की स्थापना
की जाती है।
अत: अर्थिंग वह प्रक्रिया है जिसमें किसी
विद्युत उपकरण आदि के धात्विक आवरण में फेज तार के स्पर्श कर जाने की स्थिति में
मनुष्य को विद्युत झटके से बचाता है । अर्थ संयोजन का प्रतिरोध बहुत कम होता है जिससे
उसमें प्रवाहित होने वाली शॉर्ट सर्किट धारा तुरन्त भूमि में प्रवाहित हो जाता है
।
अर्थिंग संबंधी मुख्य पद:- अर्थिंग से संबंधित कुछ पद
निम्नलिखित है ।
जीवित तार:- वह तारा जो विद्युत आवेश से
पूर्ण हो एवं अर्थ के साथ विभवांतर रखता हो उसे जीवित तार कहते हैं ।
अर्थ चालक:- अर्थिंग के लिए दो भागों को एक चालक द्वारा
संयोजित किया जाता है जिसमें से दोष की स्थिति में फाल्ट धारा प्रवाहित होती है । अर्थ चालक कहलाता है ।
भू सम्पर्कित:- न्यूट्रल को अर्थ से संयोजित
किए जाने वाले पॉइंट को भू सम्पर्कित कहा जाता है ।
अर्थ इलेक्ट्राड:- धातु का वह पाइप या अन्य
चालक जो भारतीय विद्युत नियमों के अनुरूप हो एवं जिसे पृथ्वी में दबा दिया जाता है
अर्थ इलेक्ट्रोड कहलाता है ।
अर्थिंग लीड:- जिस तार से इलेक्ट्राड को
संयोजित किया जाता है उस तार को अर्थिंग लीड कहते हैं ।
भू संपर्क की वस्तु:- किसी वस्तु का अर्थ होना उसे
कहा जाता है जब वह अर्थ इलेक्ट्राड से जुड़ी हुई होती है । अर्थ इलेक्ट्रॉड पर शून्य
विभव होने के कारण इसके संपर्क में आने वाले सभी विद्युतीय साधनों का वोल्टेज भी
शून्य हो जाता हैं।
अर्थिंग की विभिन्न विधियां:-
अर्थिंग की मुख्यता चार विधियां प्रचलित हैं ।
1. प्लेट अर्थिंग
2. पाइप अर्थिंग
3.वाटर टैप अर्थिंग
4. रॉड अर्थिंग
1.
प्लेट
अर्थिंग:- अर्थिंग की यह विधि नमी वाले
स्थानों के लिए अत्यधिक उपयुक्त होती है । इसमें लगभग 90सेमी० X 90सेमी० आकार का गड्ढा भूतल से 1.5 से 3 मीटर गहराई तक खोदा जाता है
। इस गड्ढे में अर्थिंग प्लेट को ऊर्ध्व स्थिति में
स्थापित कर उसे अर्थिंग तार से नट बोल्ट के द्वारा जोड़ दिया जाता है । अर्थ प्लेट के चारों और नमक
एवं चारकोल की एकांतर परतें 15 सेंटीमीटर मोटाई तक लगाई जाती हैं ।
गड्ढे में जल डालने के लिए एक पाइप लगाकर उसे
मिट्टी से भर दिया जाता है । गड्ढे के ऊपरी सिरे पर जल पाइप को एक फनल से
जोड़ दिया जाता है और उसके चारों और लगभग 30सेमी० X 30सेमी० सीमेंट बाक्स बनाकर कास्ट आयरन के ढक्कन
से ढक दिया जाता है । अर्थ उपयोग के लिए तैयार हो
जाता है ।
आवश्यक सामग्री
प्लेट अर्थिंग के निर्माण में निम्न सामग्री प्रयोग की जाती
है ।
अर्थिंग प्लेट:-
इस प्लेट का आकाश 60सेमी० X 60सेमी० था मोटाई 1-तांबे की प्लेट के लिए 3.15 mm एवं 2- G. I. प्लेट के लिए 6.3 mm होनी चाहिए । अधिक धारा वाले परिपथ के लिए
आर्थिक प्लेट का आकार 90सेमी० X 90सेमी० रखा जाता है ।
अर्थिंग तार:-
इस विधि में 8 SWG , G.I. तार प्रयोग किया जाता है ।
अर्थिंग G.I. पाइप:-
इस पाइप का व्यास 12.7 मिलीमीटर होना चाहिए । अथिंग तार इसी पाइप में
स्थापित किया जाता है ।
19 मिलीमीटर G.I. पाइप:-
इस पाइप का ब्यास 19 मिलीमीटर तथा लम्बाई 1.2 मीटर होना चाहिए। इसका उपयोग अर्थ में नमी
बनाए रखने हेतु जल डालने के लिए किया जाता है ।
फनल:-
प्लेट अर्थिंग तार की जाली से बने फिल्टर सहित फनल का
प्रयोग किया जाता है। स्थापना के समय फनल का ऊपरी सिरा भूतल से 5 से 10 सेंटीमीटर उभरा हुआ रखा रखना
चाहिए।
कास्ट आयरन ढक्कन:- इसका आकार 30सेमी० X 30 सेमी० होना चाहिए ।
नमक व चारकोल:- इसमें दानेदार नमक एवं
चारकोल (कच्चा कोयला) चूर्ण डालना चाहिए।
नट बोल्ट:- 50 मिमी० X 30 मिमी० तांबे की प्लेट के साथ तांबे के तथा G.I. प्लेट के साथ G.I. नट बोल्ट प्रयोग करना चाहिए ।
अर्थिंग हेतु विशिष्टताएं:-
1. अर्थिंग हेतु प्लेट
इलेक्ट्रॉड G.I.
के
लिए 60 सेमी० X 60 सेमी० X 6.3मिमी० मोटा होना चाहिए तथा तांबे के लिए
60 सेमी० X 60 सेमी० X 3.18 मिमी० मोटा होना चाहिए।
2. अर्थिंग तार को सुरक्षित
रखने हेतु भूमि तल से 30 सेमी० नीचे तथा 12.5 मिमी० ब्यास के G.I. पाइप से ले जाना चाहिए।
3. विद्युत घरेलू वायरिंग एवं
पावर वायरिंग अर्थिंग का प्रतिरोध 1Ω(ओम) होना चाहिए।
4. पावर स्टेशनों पर प्रतिरोध 0.5Ω से 1Ω होना चाहिए एवं अन्य वैद्युत
प्रतिष्ठानों में प्रतिरोध 2.5Ω से 5Ω होना चाहिए ।
5. पाइप के अर्थ इलेक्ट्राड पर
पेंट नहीं किया हुआ होना चाहिए और अर्थ के लिए प्रयोग किया जाने वाला पाइप 38 मिलीमीटर व्यास तथा 2.5 मीटर लम्बाई का तथा छिद्र
युक्त होना चाहिए।
6.
अर्थ
तार
और
इलेक्ट्राड एक ही धातु के होने चाहिए।
7. भवन से अर्थिंग की दूरी 1.5 मीटर रखी जानी चाहिए
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